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Kavita Kosh से
<Poem>
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!'