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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव |संग्रह=अन्न हैं मेरे शब्द / एकांत श्रीवास्तव }}{{KKCatKavita}}<Poem>मैं गेहूं गेहूँ का पका खेत हूं<br />हूँचिडियोंचिडियो! मुझे चुग लो<br />मैं वीरान जंगल का झरना हूं<br />हूँमुसाफिर! मुझमें नहा लो<br /><br />मैं आषाढ़ का पानी हूं<br />हूँपहाड़ोंपहाड़ो! मुझे गिरा दो<br />मैं खलिहान का बुझा हुआ दिया हूं<br />हूँमॉंमाँ! मुझे जला दो<br /><br />मैं जल में सोया संगीत हूं<br />हूँपवन! मुझे जगा दो<br />मैं क्रोध का ठंडा पत्थर हूं<br />हूँसूर्य! मुझे तपा दो.<br />दो।<br /poem>