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सैकड़ों चिडियों के संगीत से भरा भविष्य
और हमारे हरे भरे दिन लियेलिएचीखता चीख़ता है बीजपृथ्वी के गर्भ के नीम अंधेरे अँधेरे में-इस बार पानी में सबसे पहले मैं भीगूंभीगूँ
बारिश की पहली फुहार की उंगली उँगली पकड़करमैं बाहर जाऊंजाऊँ
तुम्हारी दुनिया में
दुनिया एक बीज की आवाज आवाज़ पर टिकी है.है।</poem>