भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दीपशिखा / महादेवी वर्मा

1,315 bytes added, 16:57, 11 जुलाई 2020
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महादेवी वर्मा
}}
 
{{KKPustak
|चित्र=Deepshikha.jpg
|नाम=दीपशिखा
|रचनाकार=[[महादेवी वर्मा]]
|प्रकाशक=--
|वर्ष=1942
|भाषा=हिन्दी
|शैली=गीत
|पृष्ठ=
|ISBN=--|विविध=--
}}
यह महादेवी वर्मा जी की अत्यन्त प्रसिद्ध चित्र-गीतात्मक पुस्तक है जिसमें महादेवीजी ने अपनी कवितायें अपने बनाये चित्रों पर स्वयम् लिखी थीं। यह काव्य संग्रह 1942 में प्रकाशित हुआ था। इसमें कुल इक्यावन कविताएँ हैं. प्रत्येक गीत अनूठा एवम् चित्रात्मक है.
यह महादेवी वर्मा जी जो स्थान महाकाव्यों में प्रसादजी की अत्यन्त प्रसिद्ध चित्र-गीतात्मक पुस्तक 'कामायनी' एवम् प्रबंधात्मक कविताओं में निरालाजी की 'राम की शक्ति पूजा' को प्राप्त है जिसमें महादेवीजी ने अपनी कवितायें अपने बनाये चित्रों पर स्वयम् लिखी थीं। यह , वही स्थान आधुनिक गीतिकाव्य में 'दीपशिखा' को प्राप्त है. आधुनिक काव्य संग्रह 1942 में प्रकाशित हुआ था।श्रेष्ठ है गीतिकाव्य, गीतिकाव्य में श्रेष्ठ हैं महादेवी के गीत, एवम् महदेवीजी के गीतों में श्रेष्ठ है 'दीपशिखा'!
* [[दीप मेरे जल अकम्पित / महादेवी वर्मा]]
* [[पंथ होने दो अपरिचित / महादेवी वर्मा]]
* [[जो न प्रिय पहिचान पाती / महादेवी वर्मा]]
* [[आँसुओं के देश में / महादेवी वर्मा]]
* [[गोधूली इब अब दीप जगा ले / महादेवी वर्मा]]
* [[मैं न यह पथ जानती री / महादेवी वर्मा]]
* [[झिप चलीं पलकें तुम्हारी पर कथा है शेष!/ महादेवी वर्मा]]* [[मिट चली घटा अधीर! / महादेवी वर्मा]]* [[अलि कहाँ सन्देश भेजूँ? / महादेवी वर्मा]]* [[मोम सा तन घुल चुका / महादेवी वर्मा]]* [[ कोई यह आँसू आज माँग ले जाता! / महादेवी वर्मा]]* [[मेघ सी घिर झर चली मैं!/ महादेवी वर्मा]]* [[मिट चली घटा अधीर!/महादेवी वर्मा]]* [[मेघ सी घिर झर चली मैं!/ महादेवी वर्मा]]* [[निमिष से मेरे विरह के कल्प बीते!/ महादेवी वर्मा]]* [[सब आँखों के आँसू उजले, सबके सपनों में सत्य पला!/ महादेवी वर्मा]]* [[फिर तुमने क्यों शूल बिछाए?/ महादेवी वर्मा]]* [[मैं क्यों पूछूँ यह विरह-निशा,कितनी बीती क्या शेष रही?/ महादेवी वर्मा]]* [[आज दे वरदान!/ महादेवी वर्मा]]* [[प्राणों ने कहा कब दूर,पग ने कब गिने थे शूल?/ महादेवी वर्मा]]* सपने जगाती आ! / महादेवी वर्मा* मैं पलकों में पाल रही हूँ यह सपना सुकमार किसी का! / महादेवी वर्मा* गूँजती क्यों प्राण-वंशी! / महादेवी वर्मा* क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे! / महादेवी वर्मा* शेष यामिनी मेरा निकट निर्वाण! पागल रे शलभ अनजान! / महादेवी वर्मा
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,441
edits