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Kavita Kosh से
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नामवर मेरे अध्यापक नहीं रहे
किसी कहवा घर में बहस नहीं की
यूँ ही चलते-चलते
साहित्यिक वाङमय का दलित मैं
छोटे शहर का कवि
किस खाते में जाएगा
निष्कासन मेरा
किस शीर्षक तले
कविता मेरी?
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