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दीपशिखा / महादेवी वर्मा

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* [[विहंगम-मधुर स्वर तेरे / महादेवी वर्मा]]
* [[जब यह दीप थके तब आना / महादेवी वर्मा]]
 
 
* [[धूप सा तन दीप सी मैं / महादेवी वर्मा]]
* [[तू धूल-भरा ही आया / महादेवी वर्मा]]
* [[क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे!/ महादेवी वर्मा]]
* [[शेष यामिनी मेरा निकट निर्वाण!पागल रे शलभ अनजान!/ महादेवी वर्मा]]
 
तेरी छाया में अमिट रंग
 
आँसू से धो आज इन्हीं
अभिशापों को वर कर जाऊंगी!
 
 
पथ मेरा निर्वाण बन गया!
प्रति पग शत वरदान बन गया!
 
प्रिय मैं जो चित्र बना पाती!
 
 
लौट जा ओ मलय-मारुत के झकोरे!
 
पूछता क्यों शेष कितनी रात?
 
 
तुम्हारी बीन ही में बज रहे हैं बेसुरे सब तार!
 
तू भू को प्राणों का शतदल!
 
पुजारी! दीप कहीं सोता है!
 
घिरती रहे रात!
 
जग अपना भाता है!
 
मैं चिर पथिक
 
मेरे ओ विहग से गान!
 
सजल है कितना सबेरा ‍‍!
 
अलि मैं कण-कण को जान चली!