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Kavita Kosh से
दूषित समाज का गहन लगा छोरा।
असमय में कबीर के गीतों का साथ
पोंछ रहा कमलों से शबनम का माथ
माँग रहा कण कण में दुर्दिन का ईश
दाता की खैर कुशल सस्ती आशीष
माटी की गोद भलीसंयम का बोरामाँग रहा लेकर कटोरानियति के नवासे का नया नया छोरा ।।
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