भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सर्प डगर पर!
सरकतीसरकाती-पट,
खिसकाती-लट, -
शरमाती झट
अबला चंचल
ज्यों फूट पड़ा हो स्रोत सरल
भर फेनो्ज्वल फेनोज्वल दशनों से अधरों के तट!
वह मग में रुक,
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits