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मम समक्षे स्थिता श्रोणि वक्षोन्नता<br>
अप्रयासांग स्पर्शनं कामये।<br>
 
सैव दृष्टा मया अद्य नद्यास्तटे<br>
सा जलान्निर्गता भाति क्लेदित पटे<br>