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:प्रिये लालस-सालस वातास,
:जगा रोओं में सौ अभिलाष।
अजा आज उर के स्तर-स्तर में, प्राण!
सजग सौ-सौ स्मृतियाँ सुकुमार,
दृगों में मधुर स्वप्न-संसार,
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