भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
<poem>
तेरी आँखों में हैं फूल
मेरी आँखों में सब धूल
तेरी आंखें चंदा जैसीआँखें दुनिया देखेंमेरी आंखें काली रातआँखें घूरा नापें
तेरी आंखों में हैं फूलआँखें है हरषाईमेरी आंखों में सब धूलआँखें हैं पथराई
तेरी आंखें दुनिया देखेंआँखें पुण्य जमीनमेरी आंखें घूरा नापेंआँखें नीच कमीन
तेरी आंखें है हरषाईआँखें वेद पुरानमेरी आंखें हैं पथराईआँखें शापित जान
तेरी आंखें पुन्य जमीनआँखें तेरा जापमेरी आंखें नीच कमीनआँखें मेरा पाप
तेरी आंखें वेद पुरानआँखें पुण्य प्रसूतमेरी आंखें शापित जानआँखें बड़ी अछूत
<poem>
