भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आंखें / मुकेश मानस

118 bytes added, 15:30, 16 मई 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस|संग्रह=पतंग और चरखड़ी / मुकेश मानस }} {{KKCatKavita}}
<poem>
आंखेंतेरी आँखें चँदा जैसीमेरी आँखें काली रात
तेरी आँखों में हैं फूल
मेरी आँखों में सब धूल
तेरी आंखें चंदा जैसीआँखें दुनिया देखेंमेरी आंखें काली रातआँखें घूरा नापें
तेरी आंखों में हैं फूलआँखें है हरषाईमेरी आंखों में सब धूलआँखें हैं पथराई
तेरी आंखें दुनिया देखेंआँखें पुण्य जमीनमेरी आंखें घूरा नापेंआँखें नीच कमीन
तेरी आंखें है हरषाईआँखें वेद पुरानमेरी आंखें हैं पथराईआँखें शापित जान
तेरी आंखें पुन्य जमीनआँखें तेरा जापमेरी आंखें नीच कमीनआँखें मेरा पाप
तेरी आंखें वेद पुरानआँखें पुण्य प्रसूतमेरी आंखें शापित जानआँखें बड़ी अछूत
तेरी आंखें तेरा जापमेरी आंखें मेरा पाप तेरी आंखें पुण्य प्रसूतमेरी आंखें बड़ी अछूत'''रचनाकाल : 1997'''
<poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,679
edits