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{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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देखने को मुट्ठीभर धूलि

जिसे यदि फँको उड़ जाय,

अगर तूफ़ानों में पड़ जाय

अवनि-अम्‍बर के चक्‍कर खय,


:::किन्‍तु दी किसने उसमें डाल

:::चार साँसों में उसको बाँध,

:::धरा को ठुकराने की शक्‍त‍ि,

:::गगन को दुलराने की साध!
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