भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन }} देखने को मुट्ठीभर धूलि जिसे …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}


देखने को मुट्ठीभर धूलि

जिसे यदि फँको उड़ जाय,

अगर तूफ़ानों में पड़ जाय

अवनि-अम्‍बर के चक्‍कर खय,


:::किन्‍तु दी किसने उसमें डाल

:::चार साँसों में उसको बाँध,

:::धरा को ठुकराने की शक्‍त‍ि,

:::गगन को दुलराने की साध!
195
edits