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Kavita Kosh से
:प्रेम वह फूल!
कसकता उर में चिर जो शूल,
:प्रेम वह शूल!
रहस जीवन लतिका का मूल?
:प्रेम वह मूल!
दुःख-सुखमय संसृति की भूल?
:प्रेम वह भूल!
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