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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सब कुछ कृष्णार्पणम् / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
मैंने तेरी तान सुनी है
शांत विजन में
सुमन-सुमन में
हर तरु-तृण में
लय अनजान सुनी है
दूर गगन में
तारा-गण में
है त्रिभुवन में
जो गतिवान, सुनी है
अपने मन में
हर धड़कन में
आकुल क्षण में
रचते गान सुनी है
मैंने तेरी तान सुनी है
<poem>
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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सब कुछ कृष्णार्पणम् / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
मैंने तेरी तान सुनी है
शांत विजन में
सुमन-सुमन में
हर तरु-तृण में
लय अनजान सुनी है
दूर गगन में
तारा-गण में
है त्रिभुवन में
जो गतिवान, सुनी है
अपने मन में
हर धड़कन में
आकुल क्षण में
रचते गान सुनी है
मैंने तेरी तान सुनी है
<poem>