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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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[[Category:गीत]]
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मैंने तेरी तान सुनी है

शांत विजन में
सुमन-सुमन में
हर तरु-तृण में
लय अनजान सुनी है
 
दूर गगन में
तारा-गण में
है त्रिभुवन में
जो गतिवान, सुनी है
 
अपने मन में
हर धड़कन में
आकुल क्षण में
रचते गान सुनी है

मैंने तेरी तान सुनी है
<poem>
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