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पुरोहितों को नहीं पता कि हम भात का एक दाना भी नहीं खा पाते
मिठाई का दोना खिसका देते हैं पूरा का पूरा
तुम्हीं कहो समुद्र ,/ कहो कवि से कहो कथाकार से/
कहो समस्त चराचर से
हम किससे कहें कि अवश हैं हम
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