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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गु…
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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
कोयल की कुहक का यहीं अंत है
माना, पुन: लौटता वसंत है
तरु से पत्र आज झड़ गया
आयेगा रूप लिए फिर नया
जीवन अमर है यही जानकर
आती न हो वायु को तनिक दया
रोता ही रहा परन्तु वृंत है
सिन्धु-तीर लहरों का ताँता है
मन का जुड़ गया कहीं नाता है
सलिल वही लौटता हो बार-बार
ज्वार वही लौट नहीं पाता है
क्या हो जो सृष्टि-क्रम अनंत है
कोयल की कुहक का यहीं अंत है
माना, पुन: लौटता वसंत है
<poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
कोयल की कुहक का यहीं अंत है
माना, पुन: लौटता वसंत है
तरु से पत्र आज झड़ गया
आयेगा रूप लिए फिर नया
जीवन अमर है यही जानकर
आती न हो वायु को तनिक दया
रोता ही रहा परन्तु वृंत है
सिन्धु-तीर लहरों का ताँता है
मन का जुड़ गया कहीं नाता है
सलिल वही लौटता हो बार-बार
ज्वार वही लौट नहीं पाता है
क्या हो जो सृष्टि-क्रम अनंत है
कोयल की कुहक का यहीं अंत है
माना, पुन: लौटता वसंत है
<poem>