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शक्ति दे, मन को सुदृढ़ बनाऊँ
कितना भी गहरा संकट हो, तनिक नहीं घबराऊँ
 
जब भी विकल हुआ मैं स्वामी!
तूने ही बाँहें हैं थामी
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