भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अपने घर का दरवाजा़
उसकी माँ ने भी क्‍या उसको
बुला लिया कहहकर कहकर आजा।
ज़ोर-ज़ोर से गरज रहे हैं
मुझे चमकती सी तलवार
तब माँ कर न कोई सकेगा
अपने उपर ऊपर अत्‍याचार।
पुलिसमैन अपने काका को
53
edits