भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
टॉम हमारा कितना अच्छा! लगता है यह सीधा सच्चा!!
ठण्डे जल से रोज नहाता! फिर मुझसे कंघी करवाता!!
बड़े-बड़े हैं इसके बाल! एक आँख है इसकी लाल!!
घर भर को है इससे प्यार! प्राची करती इसे दुलार!!
बिन वेतन का चौकीदार! सच्चा है यह पहरेदार!!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,465
edits