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{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
|संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर
}}
<poem>
मैं आपको अपने कई रहस्य नहीं बताये
आपने भी यही किया
हमारी दोस्ती की यही आधारशिला है
इसी के नीचे एक दिन हम दब जाएँगे
बस थोड़ी देर घुटन होगी
फिर सब शांत हो जाएगा।
{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
|संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर
}}
<poem>
मैं आपको अपने कई रहस्य नहीं बताये
आपने भी यही किया
हमारी दोस्ती की यही आधारशिला है
इसी के नीचे एक दिन हम दब जाएँगे
बस थोड़ी देर घुटन होगी
फिर सब शांत हो जाएगा।