Changes

तीसरी रे भूख आत्मा की गहन!
इंद्रियों की देह से ज्यों है पर परे मन
मनो जग से परे त्यों आत्मा चिरंतन
जहाँ मुक्ति विराजती
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,311
edits