भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna|रचनाकार=मुकेश मानस|संग्रह=पतंग और चरखड़ी / मुकेश मानस }} {{KKCatKavita}}
<poem>
सबको अच्छा लगता है
जब तक घोड़ा दौड़ता है
मरे हुए घोड़े का
कोई फोटो नहीं खींचता
उसकी बेजोड़ कुलांचों कुलाँचों पर
कोई किताब नहीं लिखता
रचनाकाल : 1987
<poem>