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मेरे दामन में काँटे हैं, मेरी आँखों में पानी हैं है मोहब्बत नाम जिसका है, ये उसने दी निशानी हैंहै
क़ज़ा ही लगती है आसां, अगर जीना जुदाई में
मिटाना है मुझे खुद को, उसे यादें मिटानी हैंहै
वफ़ा के वादे हैं टूटे, ज़रा सी बात पर रूठे
सज़ा बन जाती है कुरबत, अजब दिल की कहानी हैंहै
मिटा कर नक्श कदमों के, बने अंजान हम फिर से
मिले शायद कभी हंस कर, कि लंबी ज़िंदगानी हैं है
कहाँ क़ुरबान होता है, कोई भी संग में “श्रद्धा”
ये बातें हीर -रांझे की, हुई कब से पुरानी हैं है
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