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11:11, 9 जून 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चंद्रभानु भारद्वाज
|संग्रह=
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<poem>
हृदय की राजधानी का तनिक हिस्सा बना लेते;
हमें अपनी कहानी का तनिक हिस्सा बना लेते।
हवायें रुख बदल लेतीं ज़माना साथ हो लेता,
नज़र की मेहरबानी का तनिक हिस्सा बना लेते।
उतरती आस की तितली चमकते प्यार के जुगनू,
अगर खिलती जवानी का तनिक हिस्सा बना लेते।
गमों का बोझ कंधों पर बहुत आसान हो जाता,
कभी टूटी कमानी का तनिक हिस्सा बना लेते।
कहीं तसवीर बनबाते कहीं इक नाम गुदवाते,
प्रणय की इक निशानी का तनिक हिस्सा बना लेते।
जहाँ से भी गुजर जाते हवा में फैलती खुशबू,
बदन की रातरानी का तनिक हिस्सा बना लेते।
बदल कर धार 'भारद्वाज' आवारा नही होते,
अगर चंचल रवानी का तनिक हिस्सा बना लेते
</poem>
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