भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'

1 byte removed, 13:46, 9 जून 2010
ढ़ूंढता रहा खुद को दिन रात ढूंढ नहीं पाया  
छोटा करे दे रातों की लम्बाई भी गहरी नीन्द
छीन ही लिया नदी का नदीपन प्यासे बान्धो ने