भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=देवमणि पांडेय
}}
दिल वालों की बस्ती है
यहाँ मौज और मस्ती है।
पत्थर दिल है ये दुनिया
मज़बूरों पर हँसती है।
ख़ुशियों की इक झलक मिले
सबकी रूह तरसती है।
क्यों ना दरिया पार करें
हिम्मत की जब कश्ती है।
हर इक इन्सां के दिल में
अरमानों की बस्ती है।
महंगी है हर चीज़, मियाँ
मौत यहां यहाँ पर सस्ती है।
उससे आँख मिलाएँ,वो
सुना है ऊँची हस्ती है।
</poem>