भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[हर घड़ी इस तरह मत सोचा करो / सर्वत एम जमाल]]
* [[क्या है और क्या पास नहीं है / सर्वत एम जमाल]]
* [[कितने दिन, चार, आठ, दस, फिर बस मैं भी इस दौर के बशर सा हूँ / सर्वत एम जमाल]]