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क्या हम इस बात पर गुमान करें
मुल्क में खुदकुशी किसान करें

अपनी खेती उन्हें पसंद आई
आइए, मिल के कन्यादान करें

सारी दुनिया को हम से हमदर्दी
जैसे बगुले नदी पे ध्यान करें

देश, मजहब, समाज, खुद्दारी
काहे सांसत में अपनी जान करें

कर्ज़ से गर निजात चाहिए, तो
आप सोने की गाय दान करें

इस तरफ आदमी, उधर कुत्ता
बोलिए, किस को सावधान करें</poem>
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