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वह विजन चाँदनी की घाटी / सुमित्रानंदन पंत
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07:46, 10 जून 2010
::वह विजन चाँदनी की घाटी
::छाई मृदु वन-तरु-गन्ध जहाँ,
::नीबू-आड़ू के मुकुलों
ले
के
::मद से मलयानिल लदा वहाँ!
सौरभ-श्लथ हो जाते तन-मन,
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