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बातें करें / विजय वाते

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<poem>
आओ मिल के दो घड़ी संसार की बातें करें,
कुछ करें शिकवे गिले कुछ प्यार की बातें करें |

हो चुका जो हो रहा है फ़िक्र उसकी खूब की,
इन सभी से बन रहे आसार की बातें करें |

जो मिला जब जब मिला दुनिया के गम ले कर मिला,
आज मन है आपसे घरबार की बातें करें |

अब बड़े घर मे बुजुर्गों के नहीं तामीरदार,
आओ मिल के उनसे कुछ उपचार की बातें करें |

छत के गुण गाते हैं हम जो दे रही है आसरा,
छत टिकी काँधे पे जिस दीवार की बातें करें|</poem>