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Kavita Kosh से
<poem>
बातचीत चलने दो,
दर्द का तकाजा है,
आँख को मचलने दो|।
कुछ सितारे चमकेंगे,
आफ़ताब ढलने दो|।
ओस का करो स्वागत,
टार को तो गलाने दो |।</poem>