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{{KKCatGhazal}}
<poem>
जो बेईमान हुआ |।उसका सम्मान हुआ |।
बेकार सत्य बोला,
नाहक अपमान हुआ |।
इंसान हुआ आबं,
व्यर्थ गुमान हुआ|।
रोटी मकान कपड़ा,
इतना सामान हुआ|।
चाहा पढ़ें कसीदे,
दर्द बयान हुआ |।</poem>