भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जो बेईमान हुआ |उसका सम्मान हुआ |
बेकार सत्य बोला,
नाहक अपमान हुआ |
इंसान हुआ आबं,
व्यर्थ गुमान हुआ|
रोटी मकान कपड़ा,
इतना सामान हुआ|
चाहा पढ़ें कसीदे,
दर्द बयान हुआ |</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits