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Kavita Kosh से
छोटा-सा इक हुजरा, फ़राज़े-मकान पर
सब्ज़े से झाँकती हुई खपरैल वाली छत
उतरी हुई पहाड़ पर बरसात की वह रात
कमरे में लालटेन की हल्की-सी रौशनी