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|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= दो मिसरे / विजय वाते;ग़ज़ल / विजय वाते
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<poem>
नज़र में प्यार तो लहजे में सादगी रखना
तुम अजनबी हो यहाँ सबसे दोस्ती रखना

मिले ये दिल न मिले हाँ में हाँ मिला देना
कभी सलीके में अपने न कुछ कमी रखना

मिला के हाँथ न जानो कि दिल भी एक हुए
बहुत जरूरी है ये फासले अभी रखना

तुम्हारी बात का मतलब ही जो बदल डाले
तुम ऐसी यारों से कुछ दूर शायरी रखना

तुम्हे नजर से गिरा दें न ये जहाँ वाले
तुम अपने पास विजय अपनी मुफलिसी रखना
</poem>