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|रचनाकार=विजय वाते
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<poem>
सागर कि बात है ये किनारों की बात है
अब किसको क्या मिला ये सितारों की बात है

सच क्या है झूठ क्या है ‌‍‌‍किसी को पता नहीं
नजरों का है भरम ये इशारों की बात है

क्या पार पा सकेगी वो साजन के गाँव में
डोली का प्रश्न है ये कहारों की बात है

हम वाकई मिले है कि बस है दुआ सलाम
अपनों का वहम है ये हमारों की बात है

मूरत कहाँ बनी जो मेरे दिल मे बैठती
मिट्टी का दर्द है ये कुम्हारों कि बात है

जब डुगडुगी बजी है तो चलना है तार पर
गिराने का ये जुनूं है ये सहारों की बात है
</poem>