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<poem>

मेरा एक बेटा बर्लिन में है

एक बेटी फ्रेंकफर्ट में
मेरा एक बेटा चेन्‍नई में है


मेरे और भी बेटे-बेटियां हैं

मेरा एक बेटा जूते गांठता है
मेरी एक बेटी सब्‍जी बेचती है
मेरा एक दामाद कार धोता है
मेरी मौसी का एक बेटा गया था
बंबई हीरो बनने
राज ठाकरे के लोगों के हाथों मारा गया
लेकिन मैं अपनी दुनिया में इतना मस्‍त था
कि मेरे पास उसके लिए उदास होने का समय भी नहीं था
उसका चेहरा तक याद नहीं आया मुझे
कहा नहीं मौसी से फोन तक से मैंने कि रो मत
कि मैं हूं न तेरा बेटा, तू फिक्र क्‍यों करती है
मुझे देख, क्‍या मैं तेरा बेटा नहीं
क्‍या मैं भूल सकता हूं वो दिन जब तूने
मां से ज्‍यादा अपना बेटा माना थ मुझे
इस दुःख में अकेला मैं कैसे छोड़ सकता हूं तुझे, मेरी मां

मेरा एक बेटा दिल्‍ली में रिक्‍शा चलाता है
मेरा एक भाई शाजापुर में 60 साल की उम्र में
कम्‍प्‍यूटर चलाना सीख रहा है ताकि उसकी तनख्‍वाह
3000 से 5000 रूपए हो सके

मेरे एक बड़े भाई को कैंसर है

दिनोंदिन वे मौत की तरफ बढ़ रहे हैं

भाभी को भी कैंसर है

वे खुद को संभालें या पति को
पोते को देखकर वे खुश होती हैं

तो थोड़ी देर में उन्‍हें अपने पोते में अपना
उदास भविष्‍य सामने खड़ा दीखने लग जाता है
वह सोती हैं और सो नहीं पाती हैं

वह जागती हैं और जाग नहीं पाती हैं
सपने उन्‍होंनें न जाने कब से नहीं देखे
इसलिए चीखी-डरीं तक नहीं वह कभी रात में
कभी सुबकीं, कभी रोईं दहशत में डूबकर
पति के सिरहाने बैठीं तो बैठी रहीं रातभर
कभी अपने को भूलकर, कभी पति को भी भूलकर
पूछती रहीं बार-बार उनका हाल
बताती रहीं मैं बिल्‍कुल अच्‍छी हूं


मैं उन्‍हें देखता हूं और देख नहीं पाता हूं
उनकी बात सुनता हूं और सुन नहीं पाता हूं


मेरा एक दोस्‍त शेयर बाजार में कूद पड़ा था
उसने जब कमाया, तो इतना कमाया कि मुझे वह भूल-सा बैठा
अब रोज कहता है कि यार अब जीया नहीं जाता
करोड़ों के नीचे आ गया हूं

मेरे दोस्‍त तू मुझे मर जाने दे
मुझे मत बता कि दूर कहीं उम्‍मीद की एक किरण है
मुझे पता है
वो बंबइया फिल्‍मों में होती है या साहित्‍य में होती होगी
देख तूने ज्‍यादा जिद की तो मैं पहले पत्‍नी-बच्‍चों को मारकर
फिर खुद मर जाऊंगा, मुझे अकेला मर जाने दे यार

सुन, सुन तो ले मेरी बात
मुझे अपनों की हत्‍या के कलंक से बचा
वरना मैं मरकर भी मर नहीं पाऊंगा
मेरी हालत समझ मेरे दोस्‍त, मेरे खुदा

इतने रिश्‍तेदार, इतने दोस्‍त हैं मेरे
कि अब तो हर कोई मुझे अपना लगता है
दफ्तर का चपरासी भी रोता है कभी मेरे पास आकर
और तय नहीं कर पाता कि मैं उसका बड़ा भाई हूं या साहब
कभी साहब कहता है, कभी बड़े भैया
और कभी डांट दूं तो इतना नाराज हो जाता है
कि जैसे मैं उसका बेवकूफ पिता हूं
जो अपने बेटे को समझ नहीं पाता
बेटे की एक बात नहीं सुनता मगर अपनी हांकता जाता है

उसे लाख मनाऊं तो मानता नहीं
उससे माफी मांगू लूं तो मेरे पैर छूने लगता है
कहता है
गलती मेरी ही थी साहब

मैंने आपसे माफी मंगवा ली
भगवान मुझे इसके लिए कभी माफ नहीं करेगा

मेरा वह भी रिश्‍तेदार है

जो खड़े-खड़े कल निकाल दिया गया नौकरी से
कर दिया गया दरवाजे से बाहर तुरन्‍त
कि तू नाकाबिल है, हमने नाकाबिलों को नौकरी में रखने का
कोई ठेका ले रखा है क्‍या
चल फुट

वह भी मेरा रिश्‍तेदार निकला
जिसे कइयों के आगे सिर नवाने के बाद
सात हजार मासिक की नौकरी के साथ अपमान का बोनस रोज मिलता है
पर वह खुश है इससे
कहता है भैया आपने मेरी जिंदगी बदल दी
मुझे जिंदगी दे दी, यह नौकरी दिलवाकर
अपमान सहना मुझे उसकी तरह आता है
जिस तरह एक शर्ट में ठंड बर्दाश्‍त करना
कड़वी बात सुनकर मैं रोता नहीं अब
हंसता हूं अफसर के घटियापन पर मन ही मन
पेट में दो रोटी हो तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
कि किसने क्‍या कहा
ज्‍यादा ही हो जाए तो एक पव्‍वा लगा लेता हूं

पीकर मोहल्‍ले में
अफसर को गाली देते हुए घूमता हूं

आ मेरे सामने कमीने, तेरी तो....


इतने रिश्‍तेदार हैं मेरे
कि कोई बीड़ा पीता है, कोई कहीं थूक देता है
किसी के कपड़े इतने मैले हैं कि
उनसे बू आती है
किसी बहन का ब्‍लाउज इतना फट चुका है
आस-पड़ोस के मर्द इसके 'मजे' लेते हैं-

'तू कहे तो अब भी सिलवा दूं तेरी अंगिया जानेमन

अरे एक नजर इधर देख तो ले गोरी
बुढि़या हो गई है, फिर भी लौंडिया से जयादा नखरे दिखाती है तू'

वह चुप रहती है, बिल्‍कुल शांत
वह बोली तो उसे पागल करार देकर गांव से निकाल दिया जाएगा

किसी भांजी को दवाई की जरूरत है और आराम की भी
और दोनों के लिए पैसा चाहिए
किसी भतीजी का पति नशेड़ी हो चुका है
कहीं भी पड़ा रहता है रात भर
भांजी की कई रातें पति के लिए
ईश्‍वर से प्रार्थना करते-करते
और दिन, मजदूरी करते-करते बीते हैं


एक भाई को तो हिन्‍दी भी नहीं आती
वह सिर्फ तमिल बोलता है
और चाहता है
मैं उसे तमिल में ही जवाब दूं

एक बेटा ऐसा है जो बोल भी नहीं पाता
बें-बें करता है
जब भी देखा उसे खुश ही देखा
कितना कम देखा उसे

एक सबके सामने हाथ फैलाये रहता है
मैं हमेशा उससे कहता हूं मेहनत कराकर बेवकूफ
खानदान का नाम क्‍यों बदनाम करता है
वह बिना बोले, बिना सुने
किसी और के सामने हाथ फैलाने चल देता है
हिकारत की नजर से पीछे मुड़कर भी नहीं देखता
गालियां नहीं बुदबुदाता
मेरी तरफ देखकर थूकता तक नहीं
इतनी फुर्सत उसे कहां

मेरा एक रिश्‍तेदार कहता है बहुत बड़ा आदमी हो गया है रे क्‍या तू
अब तो कभी गलती से भी नहीं कहता कि घर आना किसी दिन ताऊजी
मैं कभी नहीं आऊंगा कुत्‍ते, तेरे बुलाने पर भी कब्‍भी नहीं
पर एकबार कहके तो दिखाता अपने जबान से
कुछ तो मर्यादा रखता रिश्‍तेदारी की

मेरी दुनिया इतनी बड़ी है और इतनी छोटी
कि रिश्‍तेदारों में सिमटकर रह गई है
किसे दिखाऊं अपने सूट
किसे बताऊं अपनी हैसियत
किसे सुनाऊं अपनी अंग्रेजी
बुरी तरह कनफ्यूज हूं

बस इतना मालूम है कि एक औरत ने मुझे बड़ा किया, गढ़ा मुझे

और दूसरी ने इनसान समझकर मुझसे शादी की
तो शायद मैं भी एक इनसान हूं
पत्‍नी से पूछता हूं, सच-सच बताओ, क्‍या हूं

तो हर बार वह विषय बदल देती है
ज्‍यादा पीछे पडूं तो कहती है-

'ये सवाल मुझसे क्‍यों पूछता है गधे

खुद से भी कभी कुछ पूछा कर
सारे जवाब दूसरों के पास नहीं होते
लेकिन पूछना अब क्‍या आएगा तुझे
बहुत देर हो चुकी है
घंटी बज चुकी है तेरी
पिट चुकी है तेरी पारी
अब तो तू पांसे समेट
और चलता-फिरता दिख

इस जहां से'
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