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लेखक: [[भवानीप्रसाद मिश्र]]
[[Category:भवानीप्रसाद मिश्र]]
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
मैं जो हूँ<br>
मुझे वहीं रहना चाहिए।<br>
यानी<br>
वन का वृक्ष<br>
खेत की मेड़<br>
नदी की लहर<br>
दूर का गीत<br>
व्यतीत<br>
वर्तमान में<br>
उपस्थित भविष्य में<br>
मैं जो हूँ मुझे वहीं रहना चाहिए<br>
तेज गर्मी<br>
मूसलाधार वर्षा<br>
कड़ाके की सर्दी<br>
खून की लाली<br>
दूब का हरापन<br>
फूल की जर्दी<br>
मैं जो हूँ<br>
मुझे अपना होना<br>
ठीक ठीक सहना चाहिए<br>
तपना चाहिए<br>
अगर लोहा हूँ<br>
हल बनने के लिए<br>
बीज हूँ<br>
तो गड़ना चाहिए<br>
फल बनने के लिए<br>
मैं जो हूँ<br>
मुझे वह बनना चाहिए<br>
धारा हूँ अन्त: सलिला<br>
तो मुझे कुएँ के रूप में<br>
खनना चाहिए<br>
ठीक जरूरतमंद हाथों से<br>
गान फैलाना चाहिए मुझे<br>
अगर मैं आसमान हूँ<br>
मगर मैं<br>
कब से ऐसा नहीं<br>
कर रहा हूँ<br>
जो हूँ<br>
वही होने से डर रहा हूँ ।<br><br>
[[Category:भवानीप्रसाद मिश्र]]
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मैं जो हूँ<br>
मुझे वहीं रहना चाहिए।<br>
यानी<br>
वन का वृक्ष<br>
खेत की मेड़<br>
नदी की लहर<br>
दूर का गीत<br>
व्यतीत<br>
वर्तमान में<br>
उपस्थित भविष्य में<br>
मैं जो हूँ मुझे वहीं रहना चाहिए<br>
तेज गर्मी<br>
मूसलाधार वर्षा<br>
कड़ाके की सर्दी<br>
खून की लाली<br>
दूब का हरापन<br>
फूल की जर्दी<br>
मैं जो हूँ<br>
मुझे अपना होना<br>
ठीक ठीक सहना चाहिए<br>
तपना चाहिए<br>
अगर लोहा हूँ<br>
हल बनने के लिए<br>
बीज हूँ<br>
तो गड़ना चाहिए<br>
फल बनने के लिए<br>
मैं जो हूँ<br>
मुझे वह बनना चाहिए<br>
धारा हूँ अन्त: सलिला<br>
तो मुझे कुएँ के रूप में<br>
खनना चाहिए<br>
ठीक जरूरतमंद हाथों से<br>
गान फैलाना चाहिए मुझे<br>
अगर मैं आसमान हूँ<br>
मगर मैं<br>
कब से ऐसा नहीं<br>
कर रहा हूँ<br>
जो हूँ<br>
वही होने से डर रहा हूँ ।<br><br>
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