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लेखक: [[भवानीप्रसाद मिश्र]]
[[Category:भवानीप्रसाद मिश्र]]

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तय करके<br>
नहीं लिख सकते आप<br>
तय करके लिखेंगे<br>
तो आप जो कुछ लिखेंगे<br>
उसमें<br>
लय कुछ नहीं होगा<br>
लीन कुछ नहीं होगा<br>
एक शब्द<br>
दूसरे शब्द को<br>
आवाज देता है कई बार<br>
और अन्यमनस्क सा <br>
दूर पर खड़ा शब्द<br>
घूम पड़ता है आवाज की तरफ<br>
हरफ के अपना मन है<br>
सुन लेते हैं वे<br>
अपने मन की आवाजें<br>
नहीं तो दे देते हैं अनसुनी<br>
खींचे ही कोई शब्द को<br>
तो खिंच जायेगा बेचारा<br>
मगर<br>
अन्तर समझें हल<br>
खींच जाने<br>
और खिंच जाने का !<br><br>
Anonymous user