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लक्ष्य / रमेश कौशिक

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तर्क के लिए तर्क
इसलिए करते हैं
दर्पण के आगे
नंगा होने से
उभय पक्ष डरते हैं

पर इससे क्या
दर्पण को पता है
पर्वत की चोटी पर स्थित
झील से नील कमल लाने की बात
बस बहाना है
सारी संकल्पना
सारे आश्वासन
सारी परिकल्पना
लक्ष्य एक
सुविधा का शीश-महल पाना है
</poem>
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