भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[यूँ सड़क तक छोड़ने तो आपको आएँगे लोग / पवनेन्द्र पवन]]
*[[अपना-अपना ख़ुदा नहीं होता / पवनेन्द्र पवन]]
*[[राह में ठोकर का सामाँ हाथ मे ख़ंजर लगे / पवनेन्द्र पवन]]
*[[दिलों में तो ग़म का ही आवास होगा / पवनेन्द्र पवन]]