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इंतज़ार-दो / रेणु हुसैन

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<poem>

नहीं बैठो
तुम भी शामिल हो जाओ

आपके वो कब आएँगे
शायद अभी
शायद कभी…

नहीं देर हो रही है
नहीं बैठो ना थोड़ी देर

आपके वो क्या देर से आते है
शायद्…
अच्छा चलती हूँ
नहीं-नहीं, बैठो अभी

अच्छा खैर,
कितनी देर हुई आपके उनको
‘दस साल बीते

<poem>
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