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|रचनाकार=कर्णसिंह चौहान
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<poem>

धूप में अंग अंग
नहा रही लड़की
सूरज को शरीर का अंधेरा
दिखा रही लड़की ।

चाह रही
अबकी यह बदरंगापन भर जाए
ताम्रवर्णी छटा
वर्जित प्रदेश में भी लहराए
मोम तन पर कालिख
लगा रही लड़की ।

काश यह हो जाता
बन जाती नीग्रो
चमचमाती सुंदर
साल भर चलती ग्रीव तान

बस यही मन्नत
मना रही लड़की ।
<poem>
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