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नया पृष्ठ: <poem>आंधी ही नहीं आग भी बना समय इतना कुछ उड़ जाने पर भी इतना कुछ जाने …
<poem>आंधी ही नहीं
आग भी बना समय

इतना कुछ उड़ जाने पर भी
इतना कुछ जाने पर भी

इतना-सा कुछ
यह जो बचा रहा है
सिर्फ़ इसीलिए
रचना में इतना ही सच रहा है !
</poem>
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