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रचनाकार: [[चंद्र कुमार जैन]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=चंद्र कुमार जैन]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}अपने कद को<br>ध्यान में रखकर<br>उसने<br>खड़ी की ऊँची दीवारें<br>और बनाया<br>एक गगनचुंबी महल<br>अब क्या है<br>महल ही जब ऊँचा हो गया<br>तो आदमी का कद.....!!!<br><br>