भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क़द / चंद्र कुमार जैन

40 bytes added, 11:36, 29 अप्रैल 2007
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
अपने कद को<br>ध्यान में रखकर<br>उसने<br>खड़ी की ऊँची दीवारें<br>और बनाया<br>एक गगनचुंबी महल<br>अब क्या है<br>महल ही जब ऊँचा हो गया<br>तो आदमी का कद.....!!!<br><br>