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हम से जाओ न बचाकर आँखें
यूँ गिराओ न उठाकर आँखें
ख़ामोशॊ ख़ामोशी दूर तलक फ़ैली फैली हैबोलिए कुछ तो उठाकर आँखॆं आँखें
अब हमें कोई तमन्ना ही नहीं
चैन से हैं उन्हें पाकर आँखॆं आँखें
मुझको जीने का सलीका आया
ज़िन्दगी ! तुझसे मिलाकर आँखें।
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