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''' जिनके जलते हैं पुतले '''
 
जिनके जलते हैं पुतले
बीच चौराहे
अखबारों में
और तब भी छपते रहेंगे
जाब जब उजले कपडे पहन
वे डिनर कर रहे होंगे
किसी राष्ट्राध्यक्ष
कर्णभेदी जयघोषो के बीच
उन्हें माल्यार्पित किया जाएगा--
गाहे-बगाहे ब-गाहे
क्योंकि उनके पुतलों का जलना
और विजयमाल से अलंकृत होणाहोनाबहुत काम कम अंतर हैं दोनों में
उनके लिये
उनके पुतले,
मस्त लहालहाएंगे
महात्त्वाकांक्षाओं महत्त्वाकांक्षाओं के
उनके खेत उतने,
क्योंकि नहीं जला करते
जनसाधारण के पुतले
हां, जलती रही हैं
उनकी कुच्ह कुछ चीजें
जिनकी सन '४७ से
बढ गई दाहकता ऐसे
राष्ट्र की सीमाओं से मुक्त कर
कुछ कर गुजरते हैं
देश की आन पर यानी, मैच-फिक्सिंग, सट्टेबाजी पाप-म्युजिक, कलाबाजीमें लेकर दिलचस्पी टी.वी. फैमिली के गण्यमान्य बन फ्रेमों में सादर प्रतिष्ठित होते हैं,घोटालों की पीठ पर बमुश्किल अटके पुलों का शिलान्यास करते हैं, जलसे संचालित करवाहियात भारतीयों से किनारा करते जाते हैं चूंकि, उनके पुतले जलते हैं वे गांधिभक्त होते हैंपक्के हिंदुस्तानी देशभक्त होते हैं,बिलापरहेज वैश्विक व्यंजनों ख्यातिलब्ध कामनियों काछककर भोग करते हैं वे गली-गली ठांव-ठांव नजरों से नहीं उतरते हैं हां, जब कभीबरछीला हादसा संपन्न करतेजाब जैसे दिल में उतर जाते हैं तब उनके कभी-कभार भूमिगत होने पर उनके विछोह न झेल सकने परपुतले जला-जला उनकी उपस्थिति सादर हम दर्ज करते हैं.