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{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
''' अमरीकी दुम '''
एक सपने में
देखा था मैंने
अमरीकी नक्शा,
तब्दील होता हुआ
शिकारी कुत्ते के मुंह जैसा,
फिर, देखा भारत का नक्शा--
आकाश-मार्ग से
आवारा घूमता
कोई जगह तलाशता
कुत्ते के जबड़े के पास आ गिरा
और लगातार फड़फड़ाता रहा--
कुत्ते का ध्यान खींचने के लिए
और उसका ध्यान
खींचा भी उसने,
पर, कुत्ते ने उसे घूरा
सूंघा और चाटा,
फिर, लतियाकर उसे
धकेल दिया अपने पीछे,
बेचारा भारत का नक्शा मायूस हुआ
कोई अजीबोगरीब शक्ल लेने लगा,
पहले, उसके इर्द-गिर्द बाल उगे
तदनंतर, सिंकुड़कर पूंछ-सा हो गया
और कुत्ते के पीछे चिपककर
उसकी दुम बन गया
तब, देखा मैंने
पूरे विश्व का नक्शा
कुत्ते के मुंह में,
दुनियाभर के देश
उसके पेट में पचकर,
दे रहे हैं
पेट को गोलाकार मिलकर,
जबकि उसके पीछे चिपकी भारतीय दुम
लगातार हिलती जा रही है--
उसकी हामी बनकर.
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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
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<poem>
''' अमरीकी दुम '''
एक सपने में
देखा था मैंने
अमरीकी नक्शा,
तब्दील होता हुआ
शिकारी कुत्ते के मुंह जैसा,
फिर, देखा भारत का नक्शा--
आकाश-मार्ग से
आवारा घूमता
कोई जगह तलाशता
कुत्ते के जबड़े के पास आ गिरा
और लगातार फड़फड़ाता रहा--
कुत्ते का ध्यान खींचने के लिए
और उसका ध्यान
खींचा भी उसने,
पर, कुत्ते ने उसे घूरा
सूंघा और चाटा,
फिर, लतियाकर उसे
धकेल दिया अपने पीछे,
बेचारा भारत का नक्शा मायूस हुआ
कोई अजीबोगरीब शक्ल लेने लगा,
पहले, उसके इर्द-गिर्द बाल उगे
तदनंतर, सिंकुड़कर पूंछ-सा हो गया
और कुत्ते के पीछे चिपककर
उसकी दुम बन गया
तब, देखा मैंने
पूरे विश्व का नक्शा
कुत्ते के मुंह में,
दुनियाभर के देश
उसके पेट में पचकर,
दे रहे हैं
पेट को गोलाकार मिलकर,
जबकि उसके पीछे चिपकी भारतीय दुम
लगातार हिलती जा रही है--
उसकी हामी बनकर.