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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
अपनी ही देह
मजे देवे
अपना ही जिस्म
सताता है
यह बात कोई
न नवीं, नक्को
आनन्द जरा-सा
कहन का है.
00
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|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
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अपनी ही देह
मजे देवे
अपना ही जिस्म
सताता है
यह बात कोई
न नवीं, नक्को
आनन्द जरा-सा
कहन का है.
00