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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
फिर इस अंदाज़ से बहार आई
कि हुए मेहरो-मह<ref>चांद-सूरज</ref> तमाशाई
फिर इस अंदाज़ से बहार आई देखो, ऐ साकिनान-ए-ख़ित्त-ए-ख़ाक<brref>धरती के हुये मेहरवासियो</ref> इसको कहते हैं आलम-ओ-माह तमाशाई आराई<brref>दुनिया को सजाना,विश्व-शृँगार<br/ref>
देखो ऐ सकिनानकि ज़मीं हो गई है सर-एता-खित्ता-ए-ख़ाक सर<brref>एक कोने से दूसरे कोने तक</ref>इस को कहते हैं आलमरूकशे-सतहे-चर्चे-आराई मीनाई<brref>नीले आसमान जैसी फैली हुई<br/ref>
के ज़मीं हो गई है सर ता सर सब्ज़ा<brref>हरियाली</ref> को जब कहीं जगह न मिली रूकशबन गया रू-ए-सतहे चर्ख़े मिनाई आब<brref>पानी की सतह<br/ref>पर काई
सब्ज़े को जब कहीं जगह न मिली सब्ज़ा-ओ-गुल<brref>हरियाली और गुलाब</ref> के देखने के लिये बन गया रूचश्मे-ए-आब पर काई नर्गिस<ref>नरगिस की आँख</ref> को दी है बीनाई<brref>दृष्टि<br/ref>
सब्ज़-ओ-गुल के देखने के लिये है हवा में शराब की तासीर<brref>असर</ref>चश्मबादा-ए-नर्गिस को दी नोशी<ref>शराब पीना</ref> है बिनाई बाद-पैमाई<brref>हवा खाना<br/ref>
है हवा में शराब की तासीर <br>बदानोशी है बाद पैमाई <br><br> क्यूँ न दुनिया को हो ख़ुशी "ग़ालिब" <br>शाह-ए-दीदार दींदार<ref>आस्तिक सम्राट</ref> ने शिफ़ा पाई <brref>रोग से छुटकारा<br/ref>पाई</poem>{{KKMeaning}}